कफस
जब भी मैं देखता हूँ
इस ओर से उस ओर तक
क़ैद हूँ कल्पना के दायरे में
इस कफस से उस कफस तक
सच्चाइयाँ अपने वजूद की
इस अनुभूतित कल्पना से स्वप्न तक
जब भी मैं देखता हूँ
इस कफस से उस कफस तक
गिरकर, उठकर, संभलकर चलना
इस अंधकार से उस उजाले तक
थककर लौट जाना आशियाने में
इस उजाले से अंधकार तक
अंधेरे-उजाले की कशमकश में
इस आलसमय इंतेज़ार से उस आशा तक
जब भी मैं देखता हूँ
इस कफस से उस कफस तक
आशा का इंतेज़ार भी एक आशा हैं
कफस से निकालने का संघर्ष भी कफस हैं
हर कशमकश के अंत में
एक और कशमकश हैं
सोच, क़ैद हूँ कल्पना के दायरे में
इस ओर से उस ओर तक
इस कफस से उस कफस तक
अनुभूतित कल्पना से स्वप्न तक
[कफस= cage]
बहुत खूब - हार्दिक शुभकामनाएं एवं आशीष
ReplyDeleteAmazing work this is!
ReplyDeleteespecially gadar is:
''आशा का इंतेज़ार भी एक आशा हैं
कफस से निकालने का संघर्ष भी कफस हैं
हर कशमकश के अंत में
एक और कशमकश हैं
सोच, क़ैद हूँ कल्पना के दायरे में
इस ओर से उस ओर तक
इस कफस से उस कफस तक
अनुभूतित कल्पना से स्वप्न तक''
@rakesh kaushik
ReplyDeleteshukriya
@geetanjali
thanks ...
what work! written in 15 minutes edited in another 15...
it's been long. visited ur blog. was reading an old entry. all are wonderful commented on few. your topics are very meticulously chosen...
Thank you once again :)
ReplyDelete15minutes eh? Impressive!!!