जो उठे दिल मे आह आँसू बने
जो आँसू बहते रहे यूँही साहिल बने
जो उठे साहिल गफील सैलाब बने
झुका ज़माना दिल की करवट तले
सैलाब से फिर आह, आँसू, साहिल बने
तबाही का मंज़ार हम कब तक बने!
जो उठे दिल मे आह हँसी बने
कुछ तेरे कुछ मेरे लबों पे सजे
जो गिरे आँसू साहिल न बने
साहिल समंदर बने, गफील न बने
दुनिया मे तबाही के मंज़र बहुत
'कायल' आह तेरी सैलाब न बने
अपनी सिसकियों को बना खूबसूरत इतना
कोई शायर सुने, वाह कह दे
चिराग जले दिन-रात काजल बने
हम जले तिल-तिल 'कायल' बने
गफील = unaware