Wednesday, January 23, 2013

On new education Policy

लकड़ी बिना दबाव और थोड़े ही तापमान
पर राख बन जाती है
कुछ देर भारी दवाब और तापमान 
पर ग्रॅफाइट बन जाती है
और थोड़ी देर और दबाव और तापमान
पर हीरा बन जाती है
अगर ये परिमंडल न हो
तो लकड़ी, लकड़ी रह जाती है
पानी-बरसात में
गल जाती है 
पर तनाव  भी घताक इसमें
लकड़ी बिखर जाती है
कीटो द्वारा
चट कर दी जाती है 

अतः दबाव तनाव न बने
इसके लिए एक अनुशाशित आधार पद्धति
मिटटी की तरह पकडे जो लकड़ी को
 आवश्यक हो जाती है 
जो तय है दीवालों पर लटका दिए जाना
तो कोशिश चित्रकार बने, इश्तेहार न बने

बने तो हम न जाने क्या क्या तेरे प्यार में
और उन्हें शिकायत थी की हम पहेले से न रहे

तेरी शिकायत भी जायज़ है दिल--ए-कचहरी का फ़ैसला
खुद ही अर्जी की, गवाही दी और सूली चढ़े

ये अच्छे-बुरे के बीच की रेखा और तुम  'कायल'
बताओ ज़रा, बिना खाक के कायनात कैसे बने ?


"मेरे हाथ की लकीरे साफ़ है ये इत्तेफ़ाक नहीं
हम कितना उल्ज़े है की अब सुलझे है"