प्यार का हुनर आता नही कीताबों से
फीर इस हुनर को सीखे कैसे
मोहब्बत होती हैं सिर्फ़ दिलजले आशीक के पास
इन रोशनियों मैं उसे ढूँढे कैसे
तुम कहती हो दिन-रात मैं रिश्ता हो नही सकता
अब तुम ही बताओ सेहर को भूले कैसे
तुम कहती हो सोचने के लिए वक्त चाहिये
तो मुस्कुँरा दीये हम
अब तुम ही बताओ मोहब्बत मैं समझौता करे कैसे !
"इतना इजहार भी अच्छा नही प्यार का की हर वादा झूठा लगने लगे ..."
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment