Saturday, March 01, 2008

प्यार का हुनर आता नही कीताबों से
फीर इस हुनर को सीखे कैसे
मोहब्बत होती हैं सिर्फ़ दिलजले आशीक के पास
इन रोशनियों मैं उसे ढूँढे कैसे
तुम कहती हो दिन-रात मैं रिश्ता हो नही सकता
अब तुम ही बताओ सेहर को भूले कैसे
तुम कहती हो सोचने के लिए वक्त चाहिये
तो मुस्कुँरा दीये हम
अब तुम ही बताओ मोहब्बत मैं समझौता करे कैसे !


"इतना इजहार भी अच्छा नही प्यार का की हर वादा झूठा लगने लगे ..."

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