Friday, February 22, 2013

वो छीन लेता है छ्त मुझसे
मुझको आसमान देने के लिए
और मैं रोता रहता हूँ
इन चार दीवारों में अपनी
कुछ और सामान के लिए

मैंने काट दिए पेड़ सारे
कुछ चौड़ी सडकों, तेज़ गाड़ी
कांच के मकान के लिए 
चिड़ियाँ कीट मार दिए
कुछ पेट की आग के लिए
कुछ 'विज्ञान' के लिए 
'सभ्यता' अच्छी बात है 'कायल'
पर इसमें जगह कहाँ है?
 खुले आसमान के लिए
जहाँ के लिए ?
हैं सिर्फ दीवारे ही दीवारें
इंसानों  के लिए

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