ज़रूरतों को रिश्तों मे बदलना नही आया
हाँ, मुझे समझौतों का हुनर नही आया
मैं पत्थर हूँ पानी नही
किसी भी शॅक्ल मे ढल जाउ
खड़ा रहा तूफ़ानो मे
दरारों से रिसना नही आया
रौंदा असफलताओं ने कई बार
उठ खड़ा हुआ हर बार,
की मुझे ज़मीन पर
पड़े रहना नही आया
ज़रूरतों को रिश्तों मे बदलना नही आया
हाँ, मुझे समझौतों का हुनर नही आया
कल रात को
जब मैं तन्हा था,
कैसे कह दूं की
तुम्हारा ख़याल नही आया!
ज़रूरतों को रिश्तों मे बदलना नही आया
हाँ, मुझे समझौतों का हुनर नही आया
हाँ, मुझे समझौतों का हुनर नही आया
मैं पत्थर हूँ पानी नही
किसी भी शॅक्ल मे ढल जाउ
खड़ा रहा तूफ़ानो मे
दरारों से रिसना नही आया
रौंदा असफलताओं ने कई बार
उठ खड़ा हुआ हर बार,
की मुझे ज़मीन पर
पड़े रहना नही आया
ज़रूरतों को रिश्तों मे बदलना नही आया
हाँ, मुझे समझौतों का हुनर नही आया
कल रात को
जब मैं तन्हा था,
कैसे कह दूं की
तुम्हारा ख़याल नही आया!
ज़रूरतों को रिश्तों मे बदलना नही आया
हाँ, मुझे समझौतों का हुनर नही आया
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