हर होली पर उमड़ आते
फिर वही सवाल हर साल
खेल-खेल मैं हाथ क्यू इतने गंदे हो गए?
चेहरे के रंग उतरे और हाथों के रह गए?
कुछ चेहरो पर चड़े रंग और अपने हो गए?
कुछ चेहेरों के उतरे रंग अलसी हो गए?
कैसे भूले अपने रंग सब सतरंगे हो गए?
देखता- सोचता रहा अपनी कमरे की खिड़की से
कैसे हम इस होली बेरंग रह गए?
'यह इश्क वो रंग कायल,
जो रंगे वो भी रंग गए
जो बच गए वो भी रंग गए
हम पर चढ़े इतने रंग
की रंग सफ़ेद हो गए '
kaafi rangeen tha ye wala :P Gr8 1 ! :)
ReplyDeleteshukriya...
ReplyDeleteloved the
ReplyDelete'जो रंगे वो भी रंग गए
जो बच गए वो भी रंग गए' part.
loved that u loved ... ;)
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