Thursday, March 08, 2012

हर होली पर उमड़ आते 
फिर वही सवाल हर साल
खेल-खेल मैं हाथ क्यू इतने गंदे हो गए?
चेहरे के रंग उतरे और हाथों के रह गए?
कुछ चेहरो पर चड़े रंग और अपने हो गए?
कुछ चेहेरों के उतरे रंग अलसी हो गए?
कैसे भूले अपने रंग सब सतरंगे हो गए? 
देखता- सोचता  रहा अपनी कमरे की खिड़की से 
कैसे हम इस होली बेरंग रह गए?

'यह इश्क वो रंग कायल,
जो रंगे वो भी रंग गए 
जो बच गए वो भी रंग गए 
हम पर चढ़े इतने रंग 
की रंग सफ़ेद हो गए '

4 comments:

  1. kaafi rangeen tha ye wala :P Gr8 1 ! :)

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  2. loved the
    'जो रंगे वो भी रंग गए
    जो बच गए वो भी रंग गए' part.

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